बिहार नहीं रो रहा है बाढ़ से, रो रहा है क्योंकि कुछ नहीं बदलता — न नौकरी, न सुविधा, न असली योजनाएँ
बिहार नहीं रो रहा है बाढ़ से, रो रहा है क्योंकि कुछ नहीं बदलता — न नौकरी, न सुविधा, न असली योजनाएँ प्रकाशन तिथि: 30 अक्टूबर 2025शब्द संख्या: लगभग 1150 शब्द बिहार की वास्तविकता: पोस्टरों में विकास, जमीनी स्तर पर निराशा बिहार आज फिर चर्चा में है — इस बार बाढ़ या चुनावी शोर के … Read more