भारत में इलेक्ट्रिक कार बाजार भारत में 2025 की तीसरी तिमाही में तेजी से उभरा
परिचय
भारत में इलेक्ट्रिक कार बाजार भारत ने अब तक की गति से आगे बढ़ते हुए तीसरी तिमाही (Q3 2025) में बड़ी छलांग लगाई है, जिसमें इस सेगमेंट की बिक्री में पिछले वर्ष की तुलना में 108 % तक की वृद्धि दर्ज की गई है।
पृष्ठभूमि: बढ़ती मांग और बदलता परिदृश्य
वर्तमान में भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में पारंपरिक पेट्रोल-डिजल वाहनों के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वैकल्पिक मॉडल (EVs) तेजी से जगह बना रहे हैं। आटोमोबाइल विक्रेताओं, नीति-निर्माताओं और उपभोक्ताओं के मध्य यह स्वीकार्यता बढ़ रही है कि इलेक्ट्रिक वाहनों को अब भविष्य का हिस्सा माना जाना चाहिए।
विशेष रूप से, भारत में इलेक्ट्रिक कार बाजार भारत में इस वर्ष अप्रैल-सितंबर (H1 FY 2026) में करीब 91,726 इकाइयां बिकीं, जो कि पिछले वर्ष इसी अवधि में बिकी करीब 44,172 इकाइयों की तुलना में लगभग 108 % वृद्धि दर्शाती है।
इसी के साथ, यह बताया गया है कि इलेक्ट्रिक मॉडलों की हिस्सेदारी अब कुल कार बिक्री में करीब 5 % हो गयी है, जबकि पिछले वर्ष यह लगभग 2.6 % ही थी।
इस तरह के आंकड़े यह स्पष्ट करते हैं कि इलेक्ट्रिक कार बाजार भारत में अब सिर्फ एक भविष्य-वादा नहीं बल्कि वर्तमान का चलन बनता जा रहा है।
हालिया बयान: प्रमुख कंपनियों की रिपोर्ट
Hyundai Motor Company की Q3 रिपोर्ट
दक्षिण कोरियाई यह कम्पनी अपनी ताज़ा रिपोर्ट में कहती है कि उन्होंने Q3 में कुल 1,035,718 रिटेल यूनिट्स बेचीं, जो पिछले वर्ष इसी तिमाही से 4.8 % अधिक हैं।
विशेष रूप से, “इलेक्ट्रिफाइड वाहन” (Battery Electric + Hybrid + PHEV/EREV/FCEV) का हिस्सा 37 % बढ़ा और अब कुल बिक्री का करीब 25 % हिस्सा इनका है, जो पिछले वर्ष 19 % था।
यह वैश्विक संकेत है कि बड़े ऑटोमेकर इलेक्ट्रिक ओर तेजी से शिफ्ट हो रहे हैं — तथा भारतीय बाजार सहित, इलेक्ट्रिक कार बाजार भारत भी इस लहर की दिशा में अग्रसर है।
विश्लेषण: क्या कारण हैं इस उछाल के?
- लागत-संबंधी लाभ
इलेक्ट्रिक कारों की शुरुआती कीमतें अभी भी पारंपरिक वाहन से अधिक हो सकती हैं, लेकिन चालू में “वितरण लागत”, “कम मेंटेनेंस”, तथा “घटती बैटरी कीमतें” इलेक्ट्रिक विकल्प को आकर्षक बना रही हैं। भारत में शीर्ष इलेक्ट्रिक मॉडलों के आंकड़े इस दिशा में संकेत कर रहे हैं।
- सरकारी नीतियाँ और उपभोक्ता-स्वीकृति
भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रोत्साहन दिए हैं। साथ ही चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ा है, जिससे उपभोक्ताओं का भरोसा बढ़ा है। इस तरह इलेक्ट्रिक कार बाजार भारत तेजी से व्यावसायिक-स्वीकृति की दिशा में बढ़ रहा है।
- विकल्प-विविधता में वृद्धि
अब भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक कारों का विकल्प बड़ी संख्या में उपलब्ध हो रहा है — जैसे कि Mahindra XEV 9e, Tata Harrier EV आदि। इस विविधता ने उपभोक्ताओं को “देंखे-समझे निर्णय” लेने का अवसर दिया है।
प्रतिक्रियाएँ: उद्योग एवं विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं
उद्योग विश्लेषकों ने कहा है कि इस गति को देखते हुए इलेक्ट्रिक कार बाजार भारत वर्ष-अंत तक कुल बाजार का 7 % से भी अधिक हिस्सा ले सकता है।
ब्लूप्रिंट की दृष्टि से, कुछ प्रमुख बातें सामने आई हैं:
बैटरी-सप्लाई चेन की मजबूती आवश्यक है — यदि दुर्लभ पृथ्वी धातुओं या अन्य घटकों में बाधा आती है, तो गति सुस्त हो सकती है।
चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर शहरों के बाहर विशेष कर गांव-मोहल्लों तक फैलाना होगा, तभी समावेशी-उत्थान संभव है।
उपभोक्ता-शिक्षा और भरोसा-निर्माण भी महत्वपूर्ण हैं — नए मॉडल्स, रीयल-रेंज डेटा और बाद में रख-रखाव की जानकारी लोगों को निर्णय लेने में मदद करती है।
निष्कर्ष
निष्कर्षतः, इलेक्ट्रिक कार बाजार भारत अब सिर्फ एक भविष्य-वृत्तांत नहीं, बल्कि वर्तमान की गति में अग्रसर क्षेत्र बन चुका है। बिक्री में हुई दोगुनी वृद्धि, ऑफर-विविधता और सकारात्मक उद्योग-सुनिश्चित संकेत यह दर्शाते हैं कि इलेक्ट्रिक वाहन भारत में मुख्यधारा की ओर बढ़ रहे हैं। हालाँकि चुनौतियाँ बनी हैं, लेकिन यदि निरंतर नीतिगत, तकनीकी और इंफ्रास्ट्रक्चर-संपर्क सुधार होता रहा तो आने वाले वर्षो में इलेक्ट्रिक कारें भारत के सड़कों पर प्रमुख विकल्प बनेंगी।
लेखक: रवि पराशर
रवि पराशर डिजिटल न्यूज़ राइटर हैं, जो दिन-प्रतिदिन की अपडेट्स, ट्रेंड्स और वास्तविक-समय विकास को सटीकता तथा पत्रकार-ईमानदारी के साथ कवर करते हैं।