अमित शाह ने बिहार में साधा विपक्ष पर निशाना, बोले – “पीएम और सीएम की कुर्सी खाली नहीं”
प्रकाशन तिथि: 30 अक्टूबर 2025
शब्द संख्या: लगभग 1150
प्रस्तावना
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनज़र राजनीतिक माहौल गरमाता जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने हालिया बिहार चुनाव प्रचार भाषण में कांग्रेस, राजद और महागठबंधन पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि “पीएम और सीएम की कुर्सी खाली नहीं है।” शाह के इस बयान ने चुनावी चर्चा को नई दिशा दे दी है।
बिहार चुनाव का बढ़ता तापमान
बिहार की सियासत हमेशा से देशभर का ध्यान खींचती रही है। इस बार भी चुनावी जंग केवल सीटों की नहीं, बल्कि नेतृत्व की साख की लड़ाई बन गई है। भाजपा, जदयू और राजग के अन्य दलों ने चुनावी अभियान तेज़ कर दिया है। वहीं, विपक्षी महागठबंधन राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और अन्य क्षेत्रीय नेताओं के सहारे सत्ता में वापसी की कोशिश कर रहा है।
अमित शाह का यह बयान कि “पीएम और सीएम की सीटें पहले से भरी हैं,” स्पष्ट रूप से विपक्ष पर सीधा हमला माना जा रहा है। इसने अमित शाह बिहार चुनाव प्रचार भाषण को राजनीतिक बहस का केंद्र बना दिया है।
अमित शाह का बयान और उसके मायने
“वंशवाद की राजनीति देश को पीछे ले जाती है”
अपने भाषण में अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस और राजद जैसी पार्टियाँ “वंशवाद की राजनीति” कर रही हैं और जनता अब इस पुरानी सोच को नकार चुकी है। शाह ने राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और लालू यादव का नाम लेते हुए कहा कि “जिन्हें राजनीति विरासत में मिली है, वे सेवा नहीं बल्कि सत्ता के लिए लड़ते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में विकास की नई धारा शुरू की है, जिसे विपक्ष रोकना चाहता है।
“विकास बनाम वंशवाद” का संदेश
भाजपा की रणनीति इस बार साफ है — विकास और स्थिर नेतृत्व को चुनावी मुद्दा बनाना। शाह ने कहा कि बिहार ने 15 सालों में कानून-व्यवस्था और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में सुधार देखा है। “आज बिहार में सड़कें, बिजली और शिक्षा की सुविधाएँ बेहतर हुई हैं। मोदी-नीतीश की जोड़ी ने जनता का विश्वास जीता है,” उन्होंने कहा।
विपक्ष पर तीखा वार
अमित शाह ने अपने बिहार चुनाव प्रचार भाषण में विपक्षी नेताओं को “भ्रम फैलाने वाला गिरोह” बताते हुए कहा कि “ये लोग केवल सत्ता में लौटने के लिए झूठे वादे करते हैं, जबकि भाजपा ने अपने हर वादे को निभाया है।”
उन्होंने याद दिलाया कि केंद्र सरकार ने बिहार को करोड़ों रुपये की योजनाएँ दीं, जिनसे गाँव-गाँव तक विकास पहुँचा है। शाह ने तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा, “जो लोग कभी परीक्षा तक नहीं दिए, वे अब बिहार चलाने की बात कर रहे हैं।”
जनता से सीधा संवाद
अपने भाषण के दौरान अमित शाह ने जनता से अपील की कि वे “फिर से मोदी के विकास मॉडल पर भरोसा जताएँ।” उन्होंने कहा कि भाजपा का लक्ष्य सत्ता नहीं, बल्कि सेवा है।
शाह ने कहा — “प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के हर जिले में नई योजनाएँ भेजीं। गरीबों के घर तक गैस, बिजली, आवास और पानी पहुँचा है। यह सब भाजपा की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”
शाह का यह संदेश ग्रामीण मतदाताओं के बीच सीधा असर डालने वाला माना जा रहा है, खासकर तब जब ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा का जनाधार स्थिर है।
राजनीतिक विश्लेषण: रणनीति और सन्देश
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अमित शाह का यह बिहार चुनाव प्रचार भाषण केवल बयान नहीं, बल्कि भाजपा की रणनीति का हिस्सा है। पार्टी चुनावी मुद्दों को “विकास बनाम वंशवाद” की लड़ाई के रूप में पेश करना चाहती है।
विश्लेषकों का कहना है कि शाह का तीखा हमला भाजपा के कोर वोटरों को एकजुट करने और undecided मतदाताओं को प्रभावित करने के उद्देश्य से किया गया है।
दिल्ली स्थित राजनीतिक विश्लेषक प्रो. मनोज झा कहते हैं, “अमित शाह का भाषण भाजपा के पारंपरिक ‘नेतृत्व स्थिरता बनाम परिवारवाद’ नैरेटिव को और मजबूत करता है। यह संदेश ग्रामीण और शहरी दोनों मतदाताओं तक जाता है।”
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने शाह के बयानों को “भटकाने वाला” करार दिया है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा, “देश में बेरोज़गारी और महंगाई चरम पर है, और भाजपा इन मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है।”
वहीं, राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा, “बिहार की जनता अब झूठे वादों में नहीं फँसेगी। भाजपा ने युवाओं से रोज़गार देने का वादा किया था, अब जवाब दे।”
इन प्रतिक्रियाओं से साफ है कि भाजपा और विपक्ष के बीच सीधा टकराव केवल नीतियों पर नहीं, बल्कि जनसंदेश पर भी है।
सोशल मीडिया पर चर्चा
अमित शाह के इस बिहार चुनाव प्रचार भाषण के बाद सोशल मीडिया पर राजनीतिक बहस तेज़ हो गई है। ट्विटर (अब X) पर #AmitShahInBihar और #BiharElections2025 ट्रेंड कर रहे हैं।
जहाँ भाजपा समर्थक इसे “सटीक और तथ्यपूर्ण” बयान बता रहे हैं, वहीं विपक्षी समर्थक इसे “चुनावी प्रचार का हिस्सा” मान रहे हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इस भाषण ने भाजपा के लिए चुनावी माहौल में नई ऊर्जा भर दी है।
निष्कर्ष
अमित शाह का बिहार में दिया गया भाषण केवल राजनीतिक हमला नहीं था, बल्कि भाजपा की व्यापक चुनावी रणनीति का हिस्सा था।
वंशवाद पर प्रहार, विकास का एजेंडा और मोदी-नीतीश सरकार की उपलब्धियों का ज़िक्र — इन सबने भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की है।
हालांकि, विपक्ष ने भी इस बयान को चुनौती दी है और जनता के मुद्दों पर सवाल उठाए हैं। अब देखना यह होगा कि बिहार की जनता 2025 के चुनाव में किस पर भरोसा जताती है — विकास या वंशवाद पर।
लेखक: रवि पराशर
रवि पराशर एक डिजिटल न्यूज़ लेखक हैं, जो देश-विदेश की ताज़ा ख़बरें, रुझान और राजनीतिक घटनाक्रमों को सटीकता और निष्पक्षता के साथ प्रस्तुत करते हैं।